ईमानदारी का परिचय - Best motivational story in hindi

दोस्तों आज हम Best motivational story in hindi को पढने वाले है क्युकी हम sad Love story और Romantic love story तो बहुत पढ़ा है पर अगर हम अपनी जिंदगी में किसी भी प्रकार का बदलाव लाना चाहते है तो हमें सफलता की कहानियां 2022 को पढ़ना पढेगा जिससे हमें अपने मुकाम तक पहुचने की इच्छा बढ़ सकेतो अगर आप भी Romantic love story या sad Love story को पढ़ना शुरू कर दे जिसे आपके जीवन में भी इसी तरह से बदलाव आ सके 

Best motivational story in hindi
Best motivational story in hindi


यह कहानी शुरू होती है राजेश नामक एक व्यक्ति से वह एक ऐसे गांव में रहता था जहां पर उसकी कोई जमीन या जायदाद नहीं थी फिर भी वह कभी भी हार नहीं मानता था उसके साथ उसका परिवार भी रहता था उसके परिवार में उसकी दो बच्चे जिनका नाम योगेश और मनीषा था उसकी पत्नी गीता भी उनके साथ ही रहती थी उनकी परिस्थिति कुछ ऐसी थी कि अगर उनकी जगह पर अगर हम होते तो कब से ही हार मान ले पर फिर भी राजेश की परिवार ने कभी हार नहीं मानी 


उनकी दैनिक परिस्थिति की बात करें वे इतने गरीब थे अगर उस दिन राजेश काम नहीं करता है तो शाम को उनके घर भोजन नहीं बनता था राजेश के दोनों बच्चे काफी छोटे थे तो वह दोनों गांव के ही एक स्कूल में पढ़ने जाया करते थे दोनों बच्चे पढ़ने में बहुत होशियार थे पर फिर भी उस स्कूल से उन्हें बार-बार स्कूल यूनिफॉर्म को लेकर और स्कूल फीस को लेकर निकाल दिया ज्यादा था


बेचारा परिवार अब करता भी क्या ना ही उनके पास कोई जमीन थी ना ही कोई जायदाद इतनी परिस्थिति के बावजूद भी दोनों पति पत्नी जी तोड़ मेहनत करते और अपनी नहीं अपने बच्चों का जीवन सुधारना चाहते थे वे दोनों चाहते थे कि उनकी जिंदगी तो जैसे तैसे कट गई उनके दो बच्चे हैं उनकी जिंदगी ऐसी नहीं कटनी चाहिए बस उनके मन में एक ही इच्छा थी क्योंकि दोनों बच्चे अच्छी पढ़ाई करके किसी भी प्रकार की नौकरी करें जिससे उनका जीवन सुधर सके


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1 दिन की बात है राजेश शाम को खाली हाथ लौटाऔर अपने घर के एक कोने में जाकर बैठ गया उसके चेहरे पर परेशानियों की लकीरे उसकी पत्नी गीता महसूस कर पा रही थी उसे पता था कि आज भी उनके घर पर खाना नहीं बनेगा पर फिर भी उसने यह कह कर राजेश को मनाया कि आज हमें किसी भी भूख नहीं है और तुम परेशान क्यों होते हो 1 दिन भूखा सोने से हूं मर थोड़ी जाएंगे यह बात राजेश सुनता है


और उसकी आंखों से मानो नदियां बहने लगी हो और कहता है आजकल गांव में मजदूर काफी हो गए हैं मैं पूरा दिन गांव - गांव में घूमता रहा कहीं जगह पर मजदूरी करने के लिए भी गया पर किसी ने मुझे काम नहीं दिया सभी जगह पर मजदूर काफी थे तुम मुझे मजदूरी करने का कहीं पर भी स्थान नहीं मिला


अगर ऐसी ही हमारी जिंदगी निकलेगी तो हमारे बच्चे कैसे पढ़ पाएंगे तभी उनके पास उनका बेटा योगेश आता है और कहता है पिताजी आज भी हमें स्कूल से निकाल दिया गया हमारे पास पढ़ने के लिए किताबें भी नहीं है बेचारा   राजेश अब करता भी क्या उसने कहा ठीक है कल मैं कोशिश करूंगा कि तुम्हारे स्कूल फीस और यूनिफॉर्म का पैसा झूठा पाऊं तो अब तुम जाकर सो जाओ


पूरा परिवार भूखे पेट ही सो जाता है पर फिर भी राजेश की आंखों में अभी भी उम्मीद की किरण थी कि कल अच्छा काम मिलेगा  इसी बात उसे नींद आ जाती है


सुबह-सुबह राजेश बहुत जल्दी उठ जाता है और मजदूरी करने के लिए निकल जाता है पर उसकी गरीबी ने उसका पीछा नहीं छोड़ा आज भी वह पूरा दिन घूमता रहा पर किसी भी ने उसको काम नहीं दिया उस तरफ फिर से उसकी दोनों बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया और  स्कूल की तरफ से लास्ट वार्निंग दी गई कि अगर इस बार तुम किताबों की फीस और यूनिफॉर्म फीस जमा नहीं कराते हैं तो तुम्हें स्कूल से हमेशा के लिए ही निकाल दिया जाएगा


इस तरह दोनों बच्चे मन में उदासी लिए हुए आंखों में आंसू घर की ओर लौट रहे थे तभी उनके पास राजेश भी आ जाता है पर राजेश काम न मिलने की बात उन दोनों बच्चों को रास्ते में नहीं बताता है  तीनों घर की ओर चले जा रहे थे घर की ओर आते देख राजेश की पत्नी गीता सब समझ जाती है कि इस बार भी राजेश को काम नहीं मिला है क्योंकि जब भी राजेश को जब भी काम मिलता था राजेश अपने साथ आटा और तेल एवं सब्जी आदि को ले आया करता था


राजेश जी से घर पर आता है वह बेहद उदास हो जाता है और अपनी पत्नी गीता से कहता है आज भी मुझे काम नहीं मिला  क्योंकि यहां पर बेरोजगार मजदूरों की संख्या काफी बढ़ गई है काम मिलना भी बहुत मुश्किल हो गया है  और बच्चों की पढ़ाई भी सही तरीके से नहीं हो रही है ना ही हमारे पास इतने पैसे की हम बच्चों की पढ़ाई भी सही तरीके से करवा सके हमारे पास खाने तब की भी अभी फिलहाल पैसे नहीं है तभी गीता कहती है क्यों ना हम शहर चले जाए वहां पर तो हमें कुछ ना कुछ काम करने मिल ही जाएगा आप मजदूरी या कुछ और काम कर लीजिएगा और मैं घरों में बर्तन और पहुंचा का काम भी शुरू कर लूंगी जिससे घर में थोड़ी आमदनी आएगी और बच्चे भी पढ़ पाएंगे


तभी राजेश भी इस बात को हां कर देता है कि अब उसके पास और कोई चारा नहीं था पर फिर भी वह हार नहीं मानना चाहता था और एक नई जिंदगी की राह और चलते हुए  राजेश ने कहां तुम कहती हो तो ठीक है क्योंकि हमारे यहां पर भी हमारे पास ऐसा कुछ भी नहीं है कि हम दो पैसा कमा सकें हमारे पास जो है सिर्फ यह घर ही है और इससे किसी भी प्रकार का गुजारा नहीं हो सकता है


और राजेश यह बात कह कर गीता से कहता है चलो ठीक है कल मैं गांव के बड़े सेठ जी से बात करके घर को बेच देता हूं और हम शहर चले जाते हैं और उदास मन से कहता है हमारी नहीं तो हमारे बच्चों की तो जिंदगी सुधर जाएगी और दोनों रोने लगते हैं उनको रोता देख उनके दोनों बच्चे भी उनके पास आते हैं और उनके भी आंखों से आंसू निकल आते हैं


इसके बाद क्या था राजेश अपने घर के कागज लेकर गांव के ही बड़े नामी सेठ धनराज के पास गया धनराज बेहद    चालाक प्रकृति का व्यक्ति था उसने राजेश के घर का भाव मात्र 50 हजार बताया पर उस घर का दाम फिलहाल एक लाख से भी ज्यादा था पर फिर भी राजेश ने खुशी-खुशी अपने घर के कागज धनराज सेठ को दे दिए और वह 50000 लेकर अपने परिवार के साथ शहर मैं पैसे कमाने के लिए चले गए


चारों दूसरे दिन शहर पहुंच जाते हैं वे सबसे पहले किराए का एक मकान लेते हैं मकान इतना भी बड़ा नहीं था कि उनका पूरा परिवार मजे से रह सकता काफी मकान छोटा था पर उनके पास किराया भी उतना ही कम था तो जैसे तैसे काम चलाने के लिए उन्होंने कच्चा पक्का मकान वहां पर किराए पर ले लिया


फिर राजेश मजदूरी करने के लिए निकल गया राजेश बहुत थक चुका था पर फिर भी उसने पूरे दिन मजदूरी की और शाम को घर आते वक्त सब्जी और थोड़ा बहुत आटा ले आया जिससे उसका पूरा परिवार आज के दिन भर पेट भोजन कर सके पूरे परिवार ने आज के दिन तो अच्छा भोजन किया राजेश को तुरंत ही आंख लग गई तो वह तो सो गया


दूसरे दिन सुबह उठकर मजदूरी करने के लिए जा ही रहा था कि उसे रास्ते में अपना एक रिक्शा चालक मित्र मिला जिसका नाम रामू था जैसे ही रामू ने राजेश को देखा तुरंत पहचान लिया और कहने लगा तुम मेरे गांव वाले राजेश होना तो तुरंत ही राजेश ने कहां हां उसके दोस्त रामू ने रिक्शा को एक बाजू रस्ते पर लगाया और दोनों बात करने

लगे कि किस तरह से वह भी अपने गांव को छोड़कर यहां पर आया था और यहां पर रिक्शा चलाता है उसने राजेश से पूछा कि तुम भी यहां पर आए हो


तो राजेश ने भी कहा हां मैं भी आया हूं और काम की तलाश में जा ही रहा था कि तुम मिल गए रामू ने राजेश से कहां तुम भी एक रिक्शा खरीद लो और मेरी तरह ही यहां पर रिक्शा चलाओ ज्यादा नहीं पर इतना पैसा तो मिलेगा कि तुम अपने बच्चों को और अपने परिवार का पालन पोषण सही तरीके से कर पाओ यह बात सुनकर राजेश भी  रामू की बात पर हामी भर लेता है


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वह दोनों एक पुरानी रिक्शा को देखते हैं और अपने घर को बेचने के बाद आए हुए पैसों से राजेश एक पुरानी रिक्शा खरीद लेता है  पहले दो-चार दिन तो उसे ज्यादा कुछ पैसा नहीं मिला पर धीरे-धीरे वह ठीक-ठाक पैसा कमाने लग गया उसके दोनों बच्चे भी अब स्कूल जाने लग गए थे उसकी पत्नी  पास ही एक घर में झाड़ू पोछा कर दिया करती थी 


1 दिन रोज की तरह राजेश रिक्शा लेकर जा रहा था कि तभी उसके सामने एक कार एक बस से टकरा जाती है आसपास के सभी लोग दौड़ते हुए उस कार के पास जाकर देखते हैं राजेश भी अपनी रिक्शा को साइड में लगा कर उस कार वाले व्यक्ति को देखने जाता है उसके आसपास खड़े लोग कई तरह की बातें कर रहे थे कि यह तो बस वाले की गलती है यह तो कार वाले की गलती है कार वाला पैसा वाला है तो किसी को भी ठोक देगा पर कोई भी व्यक्ति उस कार वाले व्यक्ति को हॉस्पिटल पहुंचाने की बात नहीं कर रहा था


राजेश ने बिना कुछ सोचे समझे तुरंत ही उस व्यक्ति को अपनी रिक्शा में रखा और तेजी से हॉस्पिटल की ओर निकल गया जैसे ही वह हॉस्पिटल पहुंचा तब तक वह व्यक्ति बेहोश हो चुका था उसने उस व्यक्ति का पूरा इलाज करवाया और तब तक वहां पर बैठा रहा जब तक उसको होश नहीं आया


जैसे ही उस कार वाले व्यक्ति को आता है बहुत कर कहता है मुझे यहां पर कौन लाया मुझे उस व्यक्ति से मिलना है तो वहां के डॉक्टर कहते तुम्हें एक रिक्शावाला लेकर आया है अगर वह 1 मिनट भी लेट हो जाता तो खून बहने की वजह से तुम्हारी मृत्यु भी हो जाती तभी कमरे के अंदर राजेश आता है


और व्यक्ति उसका हाथ पकड़कर धन्यवाद देता है और कहता है अगर तुम मुझे आज हॉस्पिटल सही समय पर नहीं लाते तो मेरी जिंदगी उसी जगह पर समाप्त हो चुकी होती  तुम्हारा बहुत बड़ा एहसान रहेगा मुझ पर तभी राजेश कहता है साहब जी किस बात का एहसान अगर इंसान ही इंसान की मदद नहीं करेगा तो फिर क्या


तभी डॉक्टर भी कहता है वैसे तो भैया जी  इनका जब भी एक्सीडेंट हुआ होगा वहां पर कई इंसान तो होंगे ही पर  उन्होंने इनकी मदद नहीं की तुमने इनकी मदद की तो इनका एहसान तो बनता ही है पर फिर भी राजेश इस बात को नकार देता है और कहता है नहीं नहीं ऐसी कोई बात नहीं है अगर मेरी जगह पर भी आप होते तो ऐसा ही करते


यह कहते हुए राजेश कहता है मुझे पूरी उम्मीद है आप जल्दी स्वस्थ हो जाएंगे और राजेश वहां से चला जाता है अब रोज की तरह राजेश रिक्शा चला कर अपने परिवार का पालन पोषण करता है


दूसरी और राजेश का बेटा योगेश भी एक बड़ी किराना की दुकान में सामान बेचने और सफाई करने के लिए काम पर लग जाता है वह सुबह को स्कूल जाता और शाम को उस किराना की दुकान में काम करता उसकी पत्नी गीता भी रोजाना घरों में बर्तन धोने और कपड़े धोने की साथ ही छोटा-मोटा सिलाई का काम भी करने लगी थी और उस काम में उसकी बेटी उस काम में हाथ भी बढाती थी अब उस परिवार का गुजारा ठीक चल रहा था पर इतना भी ठीक नहीं की वह खुद का घर खरीद सकते 


एक दिन रोजाना की तरह राजेश और उसका बेटा काम पर जाते है  उसका बेटा जिस किराना की दुकान में काम करता है उस किराना की दुकान में एक व्यक्ति आता है और योगेश से कहता है कि मुझे कुछ सामान चाहिए और

एक लिस्ट योगेश के हाथ में थमा देता है उस व्यक्ति के हाथ में एक बैग था जो थोड़ा भारी लग रहा था जिसके कारण उसको उसने पास ही पड़े काउंटर टेबल के नीचे रख दिया उसके बाद योगेश ने सारा सामान एक छोटे से प्लास्टिक के बैग में भर दिया और उस व्यक्ति को दे दिया


उस व्यक्ति ने उस सामान का पूरा भुगतान किया और अपनी कार में बैठकर जाने लगा उसी समय योगेश की नजर उस बहुत पर पड़ी जो उस व्यक्ति ने काउंटर टेबल के पास रखी थी जैसे ही उसने उस बैग को देखा वह दौड़ता हुआ उसमें को लेकर उस कार के पीछे भागा और जोर से चिल्लाने लगा साहब जी आपका बैग यहां पर रह गया है साहब जी आपका बैग यहां पर रह गया है पर उस कार के सिशे चढ़े हुए होने के कारण उस व्यक्ति को योगेश की आवाज सुनाई नहीं दी


योगेश उस बात को लेकर वापस दुकान पर आ जाता है और एक कोने में उसमें को रख देता है और उस व्यक्ति को वापस बैग ले जाने के लिए इंतजार करता है शाम हो जाती है पर कोई भी व्यक्ति उसमें कोई लेने नहीं आता है अब वह चिंता में पड़ जाता है कि अब उस बैक को रखे तो रखे कहां उसने उसने को खोल कर भी नहीं देखा किसने क्या है क्योंकि योगेश के पिता ने उसे हमेशा से बताया था कि तब तक उस वस्तु को हाथ नहीं लगाना चाहिए जब तक हमें कोई मजबूरी ना हो कि उस व्यक्ति को लौटाने के लिए पता की जरूरत हो


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इसके पश्चात वह किराना की दुकान को बंद करने के बाद उस पे को लेकर अपने घर आ जाता है और अपने पिताजी को सारी बात बताता है कि कैसे उस व्यक्ति ने उस बे को वहां पर ही छोड़ दिया था राजेश उसमें को जैसे ही खोल कर देखता है उस बैग में कई सारे पैसे थे मानो जैसे वह व्यक्ति कोई कार या घर खरीदने जा रहा हो  वह दोनों उन पैसों को देख कर हैरान हो जाते हैं कि कौन ऐसा व्यक्ति होगा जो इतने पैसों को वहां पर छोड़ कर चला जाएगा अब दोनों को काफी चिंता होती है


वह दोनों कुछ ऐसी चीज को ढूंढते हैं जिससे पता चल सके कि वह पैसा किस व्यक्ति का है और किस तरह से उनको लोटा सके |


उनको एक छोटी सी डायरी मिलती है जिसमें एक पता लिखा होता है और एक फोन नंबर लिखा होता है राजेश उस फोन नंबर को लेकर एसटीडी जाता है क्योंकि उनके पास कोई फोन नहीं था तो वह एसटीडी पर जाकर फोन करते हैं सामने से एक व्यक्ति की आवाज आती है हेलो…  इसके बाद राजेश कहता है हेलो साहब जी क्या आपका कुछ खो गया है तो सामने से वह व्यक्ति कहता है हां मैं अपना बैग कहीं पर भूल गया हूं उसमें थोड़ा बहुत पैसा था इसके बाद राजेश कहता है साहब जी उसमें तो काफी पैसा है आप मुझे बताइए कि यह पैसा आपको  कहां पर लोटाऊ  तो सामने से वह व्यक्ति कहता है कोई बात नहीं तुम उन पैसों को रख सकते हो


पर राजेश उन पैसों को रखने से मना कर देता है और कहता है साहब जी यह जो पैसा है वह हमारी मेहनत का नहीं है और हमारे इन पैसों से कोई मतलब भी नहीं है तो कृपया कर आप अपना पता बता दीजिए मैं आपको यह पैसा आपको लौटा दूंगा इसके बाद वह सामने वाला व्यक्ति कहता है 


ठीक है आप इस पते पर आ जाइये इसके बाद उस व्यक्ति ने एक पता बताया राजेश ने वह पता एक कागज पर लिख लिया और अपनी रिक्शा से उस पते पर दोनों पहुच गए इसके बाद उस व्यक्ति के पते पर पहुचने पर उन्हें एक बड़ा आलीशान बंगला देखने को मिला जो इतना बड़ा था की उसके सामने बड़े - बड़े शाही हवेलिया भी फीकी पड  जाये राजेश ने अपनी पूरी जिंदगी में ऐसा बंगला कभी नहीं देखा था


दोनों बाप बेटे उस बंगले के अंदर जाते हैं और चारों और देखते हैं वहां पर उनको ज्यादा कुछ दिखता नहीं है तो वहीं पर व खड़े रहते हैं तभी वहां पर एक धीमी चलने की आवाज आती है फिर एक व्यक्ति वहां पर आता है और कहता है  कुर्सी पर बैठी आप खड़े क्यों हो


तभी उस व्यक्ति की नजर राजेश पर पड़ती है और व्यक्ति तुरंत राजेश को पहचान लेता है और राजेश भी उस व्यक्ति को पहचान लेता है और तभी वह व्यक्ति हैं राजेश को कहता है उस दिन सभी लोग ने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया था पर तुम ही ने मेरी जान बचाई थी और आज इतना सारा पैसा तुमने अपने पास ना रख कर मुझे वापस लौटाने के लिए आ गए मुझे पता ही नहीं कि इस दुनिया में  कोई और ईमानदार व्यक्ति है या नहीं पर तुम जैसे ईमानदार व्यक्ति आज तक मैंने कभी नहीं देखा पहले तुमने मेरी जान बचाकर एक मेहरबानी की थी और आज इतना पैसा मुझे लौटा कर तुम दोनों ईमानदारी को देखते हुए


मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं तो तभी राजेश कहता है बोलिए साहब जी आप क्या कहना चाहते हैं तभी वह व्यक्ति कहता है आपका जो भी नाम हो मैंने अभी तक आपका नाम नहीं पूछा पर मैं आपकी ईमानदारी को देखते हुए यह कहना चाहता हूं कि आप मेरी फैक्ट्री में क्या मैनेजर के रूप में काम करेंगे मैं आपको अच्छी खासी तंका भी दूंगा और आपके बच्चों को पढ़ने के लिए रहने के लिए सभी तरह की व्यवस्था भी मैं ही करूंगा तुम्हें किसी भी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है और तुम जो पैसा कमाओगे और तुम्हारी खुद की मेहनत हो गई ना किसी और का पैसा होगा


तो तभी ही राजेश कहता है साहब जी मैंने आपकी जान बचाई यह एक इंसानियत के नाते बचाई और जो मैं पैसा  आपको मैं लौटाने आया हूं वह आपकी खुद की कमाई थी आपका खुद का पैसा था तो तभी वह व्यक्ति फिर से राजेश से कहता है तुम काफी ईमानदार हो और ऐसे ही लोगों की हमें काफी जरूरत है तो तुम मेरे लिए काम कर सकते हो तो फिर क्या था राजेश ने भी उस बात को हां में हां भर दी


दूसरे दिन से ही राजेश ने उस व्यक्ति के फैक्ट्री में मैनेजर के रूप में लग राजेश की परिवार का सभी प्रकार का खर्च वह व्यक्ति उठाता और राजेश को अच्छा खासा पैसा भी देता धीरे-धीरे राजेश ने वहां पर अपना एक घर भी खरीद लिया इसी तरह सालों बीत गए राजेश आज एक अच्छा ईमानदार मैनेजर बन गया था


और उसके जितने भी मजदूर थे उन्हें भी वह काफी पसंद करते थे राजेश का बर्ताव के कारण फैक्ट्री की लागत भी काफी बढ़ गई थी वहां के मजदूर लगाव से काम करते थे जिससे कंपनी काफी बड़ी हो चुकी थी जब राजेश ने कंपनी ज्वाइन की थी तब मात्र 100 लोग काम करते थे पर आज कंपनी इतनी बड़ी हो चुकी थी कि 10000 लोग उस कंपनी में काम करते थे


अब राजेश का बेटा भी इंजीनियर बन चुका था और उसकी बेटी एक डॉक्टर बन चुकी थी एक दिन उस व्यक्ति ने राजेश को अपने पास बुलाया और कहां कि जब से तुमने हमारी फैक्ट्री को ज्वाइन किया है  और तुम्हारे जैसा ईमानदार व्यक्ति आज तक मेरे जीवन में नहीं मिला तुम्हारी ईमानदारी को देखते हुए तुमको में मेरी सभी कंपनियो में तुमको आधा मालिक बना रहा हु तभी राजेश कहता है मैंने जो किया है वह एक मजदुर का फर्ज है और फिर वह व्यक्ति को कहता है 


हमारे सभी कंपनियों के आधे पाट्नर तो बन ही गए हो तो अब मेरी एक बात सुन लो की अब तुमारा बेटा मेरा जमाई बनेगा और तुमारी बेटी मेरी बहु आखिर तुम मेरे संबधी बन ही गए यह कहते हुए दोनों हसने लग जाते हा है 


इस कहानी से हमें सबसे बड़ी शिक्षा यही मिलती है की अगर वह उस समय उस व्यक्ति को मारने के लिए छोड़ देता तो आज वह इस मुकाम पर नहीं होता और उस दिन उन पैसो को वापस नही देने नहीं जाता तो आज इतना बड़ा आदमी नहीं बन पाता तो हमें इस कहानी से यह सिक्षा मिलती है की हमें कभी भी ईमानदारी और दुसरो की मदद करने के लिए पीछे नहीं हटना चाहिए 


तो अगर आप sad story in hindi या very sad Love story या फिर आप मोस्ट रोमांटिक लव स्टोरी इन हिंदी पढ़ते है तो आज से आप motivational story in hindi या सफलता की कहानियां 2022 को पढ़ना शुरु करे जिससे आपकी जिंदगी में किसी न किसी तरह से बदलाव आ सके और आपका जीवन भी सुन्दर बन सके अगर आपको हमारी कहानी पसंद आई होतो आप इस post को अपने दोस्तों को भी भेजे 


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